GST( Goods & services tax) क्या है?

GST यानी वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जिसे भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 को लागू किया था। यह कर प्रणाली सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान रूप से लागू होती है। पहले भारत में विभिन्न प्रकार के कर जैसे वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स आदि लगते थे, लेकिन अब इन सबको मिलाकर एक ही टैक्स – GST लागू कर दिया गया है।

भारत में GST पंजीकरण क्यों आवश्यक है?

GST पंजीकरण उन सभी व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं के लिए आवश्यक है जिनकी टर्नओवर निम्नलिखित सीमा से अधिक हो:

  • वस्तुओं (Goods) के लिए: ₹40 लाख प्रति वर्ष
  • सेवाओं (Services) के लिए: ₹20 लाख प्रति वर्ष
  • विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए:
    • वस्तुओं पर ₹20 लाख
    • सेवाओं पर ₹10 लाख

इसके अलावा यदि कोई व्यापारी अंतरराज्यीय व्यापार करता है, ई-कॉमर्स के माध्यम से बिक्री करता है, या विशेष अधिसूचित सेवाओं का प्रदाता है, तो उसके लिए भी GST पंजीकरण अनिवार्य है, चाहे टर्नओवर सीमा से कम ही क्यों न हो।

GST पंजीकरण की आवश्यकता मुख्यतः इन कारणों से होती है:

  1. कानूनी पहचान: व्यापार को एक वैध करदाता के रूप में पहचान मिलती है।
  2. इनपुट टैक्स क्रेडिट: व्यापारियों को खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट मिलता है।
  3. बड़े ग्राहकों से व्यापार: कई कंपनियाँ सिर्फ उन्हीं विक्रेताओं से खरीद करती हैं जिनके पास वैध GSTIN होता है।
  4. सरकारी टेंडर और ई-टेंडरिंग में भाग लेने के लिए आवश्यक।

Benefits of Goods and services tax in india

  1. एक देश, एक कर: पूरे देश में एक समान टैक्स संरचना लागू होने से व्यापार आसान हुआ है।
  2. मूल्य में पारदर्शिता: ग्राहक को यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि वस्तु या सेवा पर कितना टैक्स लगाया गया है।
  3. इनपुट टैक्स क्रेडिट: व्यापारियों को पिछले स्तर पर दिए गए टैक्स का लाभ मिलता है, जिससे दोहरा कर भार समाप्त होता है।
  4. व्यापार में सुविधा: पहले के जटिल टैक्स ढांचे की तुलना में GST ने कर प्रणाली को सरल और स्पष्ट बना दिया है।
  5. डिजिटल कर प्रणाली: GST पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिससे रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और टैक्स भुगतान जैसे कार्य आसानी से होते हैं।

भारत में ई-टेंडर में GST का उपयोग

भारत में ई-टेंडरिंग प्रणाली में भाग लेने के लिए GST एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन चुका है। सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रम अब उन ही आपूर्तिकर्ताओं से निविदाएं (टेंडर) स्वीकार करते हैं जिनके पास वैध GST पंजीकरण हो।

ई-टेंडर में GST के उपयोग:

  1. पात्रता मानदंड: अधिकतर टेंडरों में GSTIN नंबर एक अनिवार्य दस्तावेज होता है।
  2. मूल्यांकन में पारदर्शिता: GST दरें और टैक्स अलग से दर्शाने की आवश्यकता होती है, जिससे बिडिंग प्रक्रिया निष्पक्ष और स्पष्ट रहती है।
  3. ट्रैकिंग और लेखा परीक्षा: सरकार को टैक्स भुगतान और आपूर्ति की निगरानी में आसानी होती है।
  4. बिलिंग और चालान: GST के अंतर्गत चालान प्रणाली स्टैंडर्ड होती है, जिससे वित्तीय रिकॉर्डिंग में एकरूपता आती है।

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